Duaain hamari zindagiyon me
*بسم الله الرحمن الرحيم*
*बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम*
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*शैत़ान,जिन्नात व जादू का इलाज,*
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*जिन्नात या शैतान इंसानी जिस्म मे दाखिल हो सकता है,की दलील*
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अली बिन हुसैन ने कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की पाक बीवी हज़रते सफियह रज़ियल्लाहो अन्हा ने उन्हे खबर दी,(दोसरी सनद) अली बिन हुसैन ने कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम मस्जिद मे थे आपके पास अज़्वाजे मुत़ह्हरात बैठी थीं,जब वह चलने लगीं तो आपने सफियह बिन्ते हुय्य रज़ियल्लाहो अन्हा से फरमाया जल्दी न कर मै तुम्हे छोड़ने चलता हूँ,उनका हुजरह दारे उसामह मे था,चुनाँचे जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम उनके साथ निकले तो दो अन्सारी सहाबियों से आपकी मुलाक़ात हुई उन दोनो हज़रात ने नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को देखा और जल्दी से आगे बढ़ जाना चाहा लेकिन आपने फरमाया ठहरो! इधर सुनो,यह सफियह बिन्ते हुय्य है,उन हज़रात ने अर्ज़ की सुब्हानल्लाह! *आपने फरमाया शैत़ान खून की त़रह दौड़ता है और मुझे खत़रह यह हुआ कि कहीं तुम्हारे दिलों मे भी वह कोई बुरी बात न डाल दे।*
सही बुखारी,अब्वाबुल्ऐतेक़ाफ,हदीस नम्बर 2038,तखरीज-बुखारी 2035
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*शैत़ान से बचाव की दुआएँ*
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*आज़ान की आवाज़ सुनकर शैतान भाग जाता है*
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हज़रते अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह से कि नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया जब नमाज़ के लिए आज़ान दी जाती है तो शैत़ान गूज़ मारता हुआ बड़ी तेज़ी के साथ पीठ मोड़कर भागता है,ताकि आज़ान की आवाज़ न सुन सके और जब आज़ान खत्म हो जाती है तो फिर वापिस आ जाता है लेकिन जूँ ही तकबीर शुरू हुई वह फिर पीठ मोड़कर भागता है,जब तकबीर भी खत्म हो जाती है तो शैत़ान दुबारह आ जाता है और नमाज़ी के दिल मे वसूसे डालता है,कहता है कि फलाँ बात याद कर,फलाँ बात याद कर,उन बातों की शैत़ान याददेहानी कराता है,जिनका उसे ख्याल भी न था और इस त़रह उस शख्स को यह भी याद नहीं रहता कि उसने कितनी रकअतें पढ़ी हैं।
सही बुखारी,किताबुल्अज़ान,हदीस नम्बर 608,तखरीज-बुखारी 1222,मुस्लिम 859,अबूदाऊद 516,निसाई 669,
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*नमाज़ मे वसूसह डालने वाले शैत़ान से बचने की दुआ*
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अबुल्उला से रिवायत की कि हज़रते उष्मान बिन अबी अल्आस नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की खिदमत मे हाज़िर हुए और अर्ज़ की अल्लाह के रसूल!शैतान मेरे और मेरी नमाज़ और मेरी क़िर्आत के दरम्यान हाइल हो गया है वह इसे मुझपर गुडमुड कर देता है तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया यह एक शैत़ान है जिसे खिंज़ब कहा जाता है *जब तुम इसको महसूस करो तो इससे अल्लाह की पनाह माँगो(यअनि अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैत़ानिर् रजीम कहे) और अपनी बायीं जानिब 3 बार थुथकार दो* ,कहा,मैने यही किया तो अल्लाह ने उसे मुझसे दूर कर दिया।
सही मुस्लिम,किताबुस्सलाम,हदीस नम्बर 2203(5738),
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*क़ुर्आन शिफा है*
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ऐ लोगो तुम्हारे पास तुम्हारे रब की त़रफ से एक ऐसी चीज़ आई है जो नसीहत है और दिलों मे जो रोग है उनके लिए शिफा है और रहनुमाई करने वाली है और रहमत है ईमान वालों के लिए(57)
(सूरह युनुस सूरह नम्बर 10 आयत नम्बर 57)
यह क़ुर्आन जो हम नाज़िल कर रहे है मोमिनों के लिए तो सरासर शिफा और रहमत है,हाँ जालिमों को बजुज़ नुक़सान के और कोई ज़्यादती नहीं होती(82)
(सूरह बनी इस्राईल सूरहनम्बर 17 आयत नम्बर 82)
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*रुक़ियह शरइयह*
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(1) सूरह फातिहा,सूरह नम्बर 1
(2) सूरह बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 1-5,102,137,163,164,255(आयतल्कुर्सी),284-286,
(3) सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 1-5,18-19,26-27,83,85,173-174,
(4)सूरह अल् अन्आम,सूरह नम्बर 6 आयत नम्बर 17,
(5) सूरह अल् ऐअराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 54-57,117-122,
(6) सूरह यूनुस,सूरह नम्बर 10,आयत नम्बर 67, 79-82,107,
(7)सूरह बनी इस्राईल,सूरह नम्बर 17,आयत नम्बर 45-51,82,
(8) सूरह ताहा,सूरह नम्बर 20,आयत नम्बर 65-69,
(9) सूरह मोमिनून,सूरह नम्बर 23,आयत नम्बर 97-98,115-118,
(10)सूरह यासीन,सूरह नम्बर 36,आयत नम्बर 1-9
(11) सूरह साफ्फात,सूरह नम्बर 37,आयत नम्बर 1-18,
(12)सूरह फुस्सिलत,सूरह नम्बर 41,आयत नम्बर 36,
(13) सूरह अल् एहक़ाफ,सूरह नम्बर 46,आयत नम्बर 29-32,
(14) सूरह अल् रहमान्,सूरह नम्बर 55,आयत नम्बर 28-36,
(15) सूरह अल् हश्र,सूरह नम्बर 59,आयत नम्बर 21-24,
(16)सूरह मुल्क,सूरह नम्बर 67,आयत नम्बर 1-4,
(17)सूरह अल्क़लम,सूरह नम्बर 68,आयत नम्बर 51-52,
(18) सूरह अल जिन्न,सूरह नम्बर 72,आयत नम्बर 1-9,
(19)सूरह अल् काफिरून,सूरह नम्बर 109,
(20) सूरह इख्लास,सूरह नम्बर 112,
(21) सूरह फलक़,सूरह नम्बर 113,
(22) सूरह नास,सूरह नम्बर 114,
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*وقل رب اعوذبك من همزات الشيطين(97) واعوذبك رب ان يحضروت(98)*
(वक़ुर् रब्बि अऊज़ुबिका मिन् हमज़ात़िश् शयात़ीन्-97,वअऊज़ुबिका रब्बि अंय्यह्ज़ुरून्-98)
(और दुआ करें कि ऐ मेरे परवरदिगार!मै शैत़ानों के वसूसों से तेरी पनाह चाहता हूँ-97,और ऐ रब!मै तेरी पनाह चाहता हूँ कि वह मेरे पास आ जायँ-98)
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*शैतान व जुनून से बचने की दुआ*
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हज़रते अबूसईद खिदरी रज़ियल्लाहो अन्ह बयान करते है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब रात को कियाम फरमाते तो अल्लाहुअकबर कहते फिर यूँ कहते *سبحانك اللهم وبحمدك وتبارك اسمك وتعلى جدك ولاإله غيرك*
(सुब्हानकल्लाहुम्मा वबिहम्दिका वतबारकस्मुका वतआला जद्दुका वलाइलाहा गैरुक)
(पाक है तू ऐ अल्लाह!अपनी हम्द के साथ, तेरा नाम बड़ी बरकत वाला है,तेरी शान बहुत बुलन्द है और तेरे सिवा कोई मअबूद नही)
फिर कहते,लाइलाहा इल्लल्लाह(अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही) 3 बार,फिर कहते अल्लाहुअकबर कबीरा(अल्लाह सबसे बड़ा और बहुत बड़ा है) 3 बार,
*اعوذبالله السميع العليم من الشيطان الرجيم من همزه ونفخه ونفثه*
(अऊज़ुबिल्लाहिस्समीइल् अलीमि मिनश्शैत़ानिर्रजीमि मिन् हम्ज़िही वनफ्खिही वनफ्षिह)
(मै अल्लाहसुनने वाले जानने वाले की पनाह चाहता हूँ की शैतान मरदूद मुझपर कोई जुनून का असर डाले या मुझे तकब्बुर पर आमादह करे,गलत़ शेअर व शायरी की त़रफ ले आए)
इसके बअद आप क़िर्आत फरमाते।
इमाम•••हुआ है।
सुनन अबूदाऊद,किताबुस्सलाह, हदीस नम्बर 775,तखरीज-इस्नादह हसन,तिर्मिज़ी 242,इब्नेखुज़ैमह 467,इब्ने माजह 804,
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*शैतान,ज़हरीले जानवर और नज़रेबद से बचने की दुआ*
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इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहो तआला अन्ह ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्ल्म हज़रते हसन व हुसैन रज़ियल्लाहो तआला अन्ह के लिए पनाह त़लब किया करते थे और फरमाते थे तुम्हारे बुज़ुर्ग दादा(इब्राहीम अलैहिस्सलाम) भी इन कलिमात के ज़रिए अल्लाह की पनाह इस्माईल और इस्हाक़ अलैहिस्सलाम के लिए माँगा करते थे-
*أَعُوْذُ بِکَلِمَاتِ اللّٰهِ التَّامَّةِ مِنْ کُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ کُلِّ عَيْنٍ لَامَّةٍ۔*
(अऊज़ुबिकलिमातिल्लाहित्ताम्मति मिन् कुल्लि शैतानिन् वहाम्मतिवमिन् कुल्ला ऐनिन् लाम्मह) (मै पनाह माँगता हूँ अल्लाह के पूरे पूरे कलिमात के ज़रिए हर एक शैत़ान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुक़सान पहुँचाने वाली नज़र ए बद से)
सही बुखारी,किताबु अहादीषिल् अम्बिया,हदीस नम्बर 3371,तखरीज-अबूदाऊद,4737,तिर्मिज़ी 2060,इब्ने माजह 3525
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अबू नज़रह ने हज़रते अबू सईद रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत की कि जिबराईल अलैहिस्सलाम नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के पास आए और कहा ऐ मुहम्मद!क्या आप बीमार हो गए है ?आपने फरमाया हाँ,हज़रते जिबराईल अलैहिस्सलाम ने यह कलिमात कहे *باسم الله ارقيك، من كل شيء يوذيك،من شر كل نفس او عين حاسد،الله يشفيك، باسم الله ارقيك،* (बिस्मिललाहि अर्क़ीक्,मिन् कुल्लि शैइन् युअज़ीक,मिन् शर्रा कुल्ला नफ्सिन् अव् ऐनि हासिद्,अल्लाहु यश्फीक्, बिस्मिल्लाहि अर्क़ीक) (मै अल्लाह के नाम से आपको दम करता हूँ,हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ दे,हर नफ्स और हर हसद करने वाली आँख के शर से,अल्लाह आपको शिफा दे,मै अल्लाह के नाम से आपको दम करता हूँ।)
सही मुस्लिम,किताबुस्सलाम,हदीस नम्बर 2186(5700),तखरीज-तिर्मिज़ी 972,इब्ने माजह 3623,
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*दिनभर शैत़ान से महफूज़ रहने की दुआ*
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अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया जिसने यह कल्मह कहा कि *لا اله الا الله وحده لا شريك له له الملك وله الحمد وهو على كل شىء قدير* (लाइलाहा इल्लल्लाहु वह्दहू लाशरीका लहू लहुल्मुल्कु वलहुल्हम्दु वहुवा अला कुल्ला शैइन् क़दीर)
(अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं,तन्हा है उसका कोई शरीक नहीं,उसी के लिए बादशाही है और उसी के लिए तअरीफें हैं और वह हर चीज़ पर क़ुदरत रखने वाला है) दिन मे 100 दफ्अह पढ़ा उसे 10 गुलामो को आज़ाद करने का षवाब मिलेगा,और उसके लिए 100 नेकियाँ लिख दी जाएँगी और उसकी 100 गलतियाँ मिटा दी जाएँगी और *इस दिन वह शैत़ान के शर से महफूज़ रहेगा शाम तक के लिए* और कोई शख्स उस दिन इससे बेहतर काम करने वाला नहीं समझा जाएगा,सिवाय उसके जो इससे ज़्यादह करे।
सही बुखारी,किताबुद्दअवाति,हदीस नम्बर 6403,तखरीज-बुखारी 3293
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*शैत़ान उस घर से भाग जाता है जिसमे सूरह बक़रह पढ़ी जाती है*
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हज़रते अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया अपने घरों को कब्रिस्तान न बनाओ *शैत़ान उस घर से भागता है जिसमे सूरह बक़रह पढ़ी जाती है।*
सही मुस्लिम,किताबुसलातिल्मुसाफिरीन व क़स्रिहा,हदीस नम्बर 780(1824)
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*आयतल्कुर्सी पढ़ने वाले के क़रीब शैत़ान नहीं आता*
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हज़रते अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने एक मर्तबह सद्क़ह फित़्र के ग़ल्ले की हिफाज़त पर मुझे मुक़र्रिर किया,एक शख्स आया और दोनों हाथों से ग़ल्लह लप भर-भर कर लेने लगा मैने उसे पकड़ लिया और कहा कि अब मै तुझे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की खिदमत मे पेश करूँगा फिर उन्होने आखिर तक हदीस बयान की,उसने(चोर ने)अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह से कहा कि जब तुम अपने बिस्तर पर सोने के लिए लेटने लगो तो *आयतल्कुर्सी* पढ़ लिया करो,उसकी बरकत से अल्लाह तआला की त़रफ से तुमपर एक निगहबान मुक़र्रिर हो जाएगा और शैत़ान तुम्हारे क़रीब सुबह तक न आ सकेगा,नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया कि बात तो उसने सच्ची कही है अगरचे वह खुद झूटा है,वह शैत़ान था।
सही बुखारी,किताबुबदइल्खल्क़ि,हदीस नम्बर 3275,तखरीज-सही बुखारी 2311,
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*जिस घर मे सूरह बक़रह की आखिर की 2 आयते रात के वक़्त पढ़ी जायँ,शैत़ान उस घर के क़रीब नहीं आता*
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नोअमान बिन बशीर रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है कि नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया अल्लाह तआला ने ज़मीन व आसमान पैदा करने से 2 हज़ार साल पहले एक किताब लिखी,इस किताब की 2 आयतें नाज़िल कीं और इन्ही दोनो आयतों पर सूरह बक़रह को खत्म किया, *जिस घर मे यह दोनो आयतें तीन रातें पढ़ी जाएँगी मुमकिन नही है कि शैत़ान उस घर के क़रीब आ सके।*
जामेअ तिर्मिज़ी,अब्वाबुफज़ायलिल्क़ुर्आन,हदीस नम्बर 2882,दारुद्दअवात सही,दारुस्सलाम इस्नादह हसन,इब्नेहिब्बान 1726,
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*जादू से बचाव की हिकमत*
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हजँरते सअद रज़ियल्लाहो अन्ह से सुना उन्होने बयान किया कि मैने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से सुना आपने फरमाया जिस शख्स ने सुबह के वक़्त 7 अज्वह खजूरें खा लीं उसदिन इसे न ज़हर नुक़सान पहुँचा सकता है और न जादू।
सही बुखारी,किताबुत़्त़िब्ब,हदीस नम्बर 5769,तखरीज-सही बुखारी 5445,
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*जादू वाली चीज़ पर सूरह फलक़ व सूरह नास पढ़ना फिर दफ्न करना*
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हज़रते आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा ने बयान किया कि बनी ज़ुरैक़ के एक शख्स यहूदी लबीद बिन अअसम ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर जादू कर दिया था और इसकी वजह से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम किसी चीज़ के मुतअल्लुक़ ख्याल करते कि आपने वह काम कर लिया है,हालाँकि आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने वह काम न किया होता,एक दिन या एक रात आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम मेरे यहाँ तशरीफ रखते थे और मुसलसल दुआ कर रहे थे,फिर आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,आइशह!तुम्हे मअलूम है अल्लाह से जो बात मै पूछ रहा था,उसने इसका जवाब मुझे दे दिया,मेरे पास दो (फरिश्ते हज़रते जिबराईल व हज़रते मीकाईल अलैहिस्सलाम)आए,एक मेरे सर की त़रफ खड़ा हो गया और दोसरा मेरे पाँव की त़रफ,एक ने अपने दोसरे साथी से पूछा,इन साहब की बीमारी क्या है?दोसरे ने कहा इनपर जादू हुआ है,उसने पूछा किसने जादू किया है?जवाब दिया लबीद बिन अअसम ने,पूछा किस चीज़ मे?जवाब दिया कँघे और सर के बाल मे जो नर खजूर के खूशे मे रखे हुए है,सवाल किया और यह जादू है कहाँ?,जवाब दिया,ज़रवान के कुँए मे,
फिर आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम उस कुँए पर अपने चन्द सहाबह रज़ियल्लाहो अन्हुम अज्मईन के साथ तशरीफ ले गए और जब वापिस आए तो फरमाया,आइशह!उसका पानी ऐसा(सुर्ख)था जैसे मेहँदी का निचोड़ होता है और उसके खजूर के दरख्तों के सर(ऊपर का हिस्सह)शैत़ान के सरों की त़रह थे,मैने अर्ज़ की,या रसूलुल्लाह!आपने इस जादू को बाहर क्यूँ नहीं कर दिया?,आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,अल्लाह तआला ने मुझे इससे आफियत दे दी इसलिए मैने मुनासिब नहीं समझा कि अब मैं ख्वाह-मख्वाह लोगो मे इस बुराई को फैलाऊँ,
*फिर आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इस जादू का सामान,कँघी,बाल,खुरमा का ग़िलाफ,इसी मे दफ्न करा दिया*
ईसा बिन युनुस••••अबू अब्दुल्लाह इमाम बुखारी रहमतुल्लाह अलैह ने कहा *मुशात़त* उसे कहते है जो बाल कँघी करने मे निकले सर या दाढ़ी के,और *मुशाफत* रूई के तार यअनि सूत के तार को कहते है।
सही बुखारी,किताबुत़्त़िब्ब,हदीस नम्बर 5763,तखरीज-सही बुखारी 3175
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*कुछ आम दुआएँ*
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*घर से निकलते वक़्त पढ़ी जाने वाली दुआ*
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अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहो अन्ह कहते है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया जो शख्स घर से निकलते वक़्त *بسم الله توكلت على الله لا حول ولا قوة الا بالله*
(बिस्मिल्लाहि तवक्कल्तु अलल्लाहि लाहौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह)
(मैने अल्लाह के नाम से शुरू किया मैने अल्लाह पर भरोसह किया और गुनाहों से बचने और किसी नेकी के बजा लाने की क़ुदरत व क़ुव्वत नहीं है,सिवाए सहारे अल्लाह के)
जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 3426,तखरीज-दारुद्दअवात सही,दारुस्सलाम इस्नादह ज़ईफ,अबूदाऊद 5095,इब्नेहिब्बान(अल्इहसान)819,
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*घर मे दाखिल होते वक़्त के बारे मे हदीस*
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हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहो अन्ह से खबर दी उन्होने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को फरमाते हुए सुना *जब कोई शख्स अपने घर मे दाखिल हो और घर मे दाखिल होते वक़्त और खाना शुरू करते वक़्त अल्लाह का नाम ले तो शैत़ान कहता है यहाँ तुम्हारे लिए ठहरने की जगह है न खाना है और जब कोई शख्स घर मे दाखिल हो और दाखिल होते वक़्त अल्लाह का नाम न ले तो शैत़ान कहता है तुम्हे रात गुज़ारने की जगह मिल गयी और जब वह खाने वक़्त अल्लाह का नाम न ले तो शैत़ान कहता है तुम्हे रात गुज़ारने की जगह और खाना दोनो मिल गये।*
{सही मुस्लिम,किताबुल्अश्रिबह,हदीस नम्बर 2018(5262,तखरीज-अबूदाऊद 3765)}
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*बैतुल्खलाअ को जाते वक़त बिस्मिल्लाह पढ़ना*
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अली बिन अबीत़ालिब रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया जिन्नों की आँखो और इँसानो की शर्मगाह के दरम्यान का पर्दह यह है कि जब इनमे से कोई पाखानह जाए तो वह *بسم الله* (बिस्मिल्लाह) (शुरू अल्लाह के नाम से)
जामेअ तिर्मिज़ी,अब्वाबुस्सफर,हदीस नम्बर 606,तखरीज-दारुद्दअवात,शवाहिद की बिना पर यह हदीस सही लिगैरिही है,दारुस्सलाम इस्नादह ज़ईफ,इब्नेमाजह 297,
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*बैतुल्खलाअ को जाते वक़त पढ़ी जाने वाली दुआ*
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हज़रते अनस रज़ियल्लाहो अन्ह से सुना वह कहते थे कि रसूलेकरीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब बैतुल्खलाअ मे दाखिल होते तो यह पढ़ते *اللهم اني اعوذبك من الخبث والخبائث*
(अललाहुम्मा इन्नी अऊज़ुबिका मिनल्खुबुषि वल्खबाइषि)
(ऐ अल्लाह!मै नापाक जिन्नों और नापाक जिन्नियों से तेरी पनाह माँगता हूँ)
सही बुखारी,किताबुल्वुज़ूइ,हदीस नम्बर 142,तखरीज-अबूदाऊद 5,तिर्मिज़ी 5
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*बैतुल्खलाअ से निकलने की दुआ*
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उम्मुल्मोमिनीन सैय्यिदह आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा बयान करती है नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब बैतुल्खलाअ से फारिग़ होकर निकलते तो कहते *غفرانك*
(गुफरानका) (ऐ अल्लाह!मै तेरी बख्शिश चाहता हूँ)
सुनन अबूदाऊद,किताबुत़्त़हारह,हदीस नम्बर 30,तखरीज-इस्नादह सही,तिर्मिज़ी 7,इब्नेमाजह 300,इब्नेखुज़ैमह 90,इब्नेहिब्बान(अल्इहसान)1441,
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*मस्जिद मे दाखिल होने की दुआ*
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हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमरू बिन अल्आस रज़ियल्लाहो अन्ह की सनद से नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से बयान करते है कि आप जब मस्जिद मे दाखिल होते तो कहा करते *اعوذبالله العظيم وبوجهه الكريم وسلطانه القديم من الشيطان الرجيم*
(अऊज़ुबिल्लाहिल्अज़ीमि वबिवज्हिहिल्करीमि वसुल्त़ानिहिल्क़दीमि मिनश्शैत़ानिर्रजीम)
(मै शैत़ानमरदूद के शर से अल्लाहकी पनाहचाहता हूँ जो इन्तिहाई अज़्मत वाला है मै उसके इन्तिहाई मुहतरम चेहरे की पनाह लेता हूँ और उसके सुल्त़ाने क़दीम की पनाह लेता हूँ)
कहा बस इतना ही?,मैने कहा हाँ,कहा कि इँसान जब यह कह लेता है तो इब्लीस कहता है कि आज सारे दिन के लिए यह मुझसे महफूज़ हो गया।
सुनन अबूदाऊद,किताबुस्सलाह,हदीस नम्बर 466,तखरीज-इस्नादह सही,
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*जिमाअ के वक़्त पढ़ी जाने वाली दुआ*
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वह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत करते है,वह इस हदीस को नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम तक पहुँचाते थे,कि आपने फरमाया जब तुममे से कोई अपनी बीवी से जिमाअ करे तो कहे *بسم الله،اللهم جنبنا الشيطان وجنب الشيطان ما رزقتنا* (बिस्मिल्लाहि,अल्लाहुम्मा जन्नब्नश्शैत़ाना वजन्नबिश्शैत़ाना मा रज़क़्तना) (अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ,ऐ अल्लाह!हमे शैत़ान से बचा और शैत़ान को इस चीज़ से दूर रख जो तू हमे अत़ा फरमाए) यह दुआ पढ़ने के बअद मियाँ-बीवी को जो औलाद मिलेगी उसे शैत़ान नुक़सान नही पहुँचा सकता।
सही बुखारी,किताबुल्वुज़ूइ,हदीस नम्बर 141,तखरीज-बुखारी 3271,
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*सोते वक़्त की दुआ*
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हज़रते बराअ बिन आज़िब रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया जब तू सोने को जाए तो वुज़ू कर जैसे नमाज़ के लिए वुज़ू करते है फिर दाहिनी करवट पर लेट और कह *(اللهم! اني اسلمت وجهي اليك وفوضت امرى اليك والجات ظهرى اليك رغبة ورهبة لا ملجأ ولا منجأ منك الا اليك امنت بكتابك الذى انزلت وبنبيك الذى ارسلت)* (अल्लाहुम्मा इन्नी अस्लम्तु वज्ही इलैका वफव्वज़्तु अम्रि इलैका वअल्जअतु ज़ह्रि इलैका रग़बतंव् वरह्बतल् ला मल्जआ वला मन्जआ मिन्का इल्ला इलैका आमन्तु बिकिताबिकल्लज़ी अन्ज़ल्ता वबिनबिय्यिकल्लज़ी अर्सल्ता) (या अल्लाह!मैने अपना मुँह रख दिया तेरे लिए और अपना काम सौंप दिया तुझको और तुझपर भरोसा किया,तेरे षवाब की ख्वाहिश से तेरे अज़ाब से डरकर सिवाय तेरे कोई ठिकाना और पनाह नहीं तुझसे,ईमान लाया मै तेरी किताब पर जो तुने उतारी और तेरे नबी पर जिसको तुने भेजा) और तेरी आखिरी बात यही दुआ हो फिर अगर तू मर जाय इस रात को तू मरेगा इस्लाम पर,बराअ रज़ियल्लाहो अन्ह ने कहा कि मैने इन कल्मों को दोबारह पढ़ा याद करने के लिए तो बिनबिय्यिका के बदले बिरसूलिका कहा आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया बिनबिय्यिका कह।
सही मुस्लिम,किताबुज़्ज़िक्र वद्दुआअ,हदीस नम्बर 2710(6882),तखरीज-बुखारी 247,अबूदाऊद 5046,तिर्मिज़ी 3394,
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*घर मे कुशादगी माँगने वाली दुआ*
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हज़रते अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है एक शख्स ने अर्ज़ की,अल्लाह के रसूल!मैने आज रात आपकी दुआ सुनी मैने आपकी जो दुआ सुनी वह यह है- *(اللهم اغفرلي ذنبي ووسع لي في داري وبارك لي فيما رزقتنى)* (अल्लाहुम्मग़्फिर्ली ज़म्बी व ववस्सअ ली फी दारी वबारिक ली फीमा रज़क़्तनी) (ऐ अल्लाह!मेरे गुनाह बख्श दे और मेरे घर मे कुशादगी दे और मेरे रिज़क़ मे बरकत दे)
आपने फरमाया क्या इन दुआइया कलिमात ने कुछ छोड़ा।
जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 3500,तखरीज- दारुद्दअवात इस्नादह ज़ईफ,दुआ का हिस्सह हसन है।
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*षाबितक़दमी की दुआ*
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शहर बिन् हौशब कहते है कहते है कि मैने उम्मेसल्मह रज़ियल्लाहो अन्हा से पूछा,उम्मुल्मोमिनीन जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का क़याम आपके यहाँ होता तो आपकी ज़्यादातर दुआ क्या होती थी ? उन्होने कहा आप ज़्यादहतर *(يا مقلب القلوب ثبت قلبى على دينك)* (या मुक़ल्लबल्क़ुलूबि षब्बत् क़ल्बी अला दीनिका) (ऐ दिलों के फेरने वाले!मेरे दिल को अपने दीन पर जमा दे) पढ़ते थे खुद मैने भी आपसे पूछा ऐ अल्लाह के रसूल!आप अक्सर यह दुआ *(يا مقلب القلوب ثبت قلبى على دينك)* क्यों पढ़ते है?आपने फरमाया ऐ उम्मेसल्मह कोई भी शख्स ऐसा नही है जिसका दिल अल्लाह की उँगलियों मे से उसकी दो उँगलियों के दरम्यान न हो तो अल्लाह जिसे चाहता है क़ायम व षाबितक़दम रखता है और जिसे चाहता है उसका दिल टेढ़ा कर देता है फिर मुआज़ ने आयत *(ربنا لا تزغ قلوبنا بعد اذ هديتنا)* (रब्बना ला तुज़िग़ क़ुलूबना बअदा इज़ हदैतना) {ऐ हमारे परवरदिगार!हमे हिदायत दे देने के बअद हमारे दिलों मे कुजी(गुमराही) न पैदाकर-सूरह आल इमरान आयत नम्बर 8} पढ़ी।
जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 3522,तखरीज-इस्नादह हसन,अबू यअला 2318
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*लाहौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह जन्नत का ख़ज़ानह है*
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हज़रते अबूमूसा रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत की कहा एक सफर मे हम नबी सल्लल्लाहो अलैहृ वसल्लम के साथ थे कि लोग बुलन्द आवाछ़ के साथ अल्लाहुअकबर कहने लगे नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया ऐ लोगो!अपनी जानो पर नरमी करो कि तुम न किसी बहरे को पुकार रहे हो न ग़ायब को तुम उसको पुकार रहे हो जो हरवक़्त खूब सुनने वाला है,क़रीब है और तुम्हारे साथ है उसवक़्त मै आपके पीछे था और यह कह रहा था *(لا حولا ولا قوة الا بالله)* (लाहौला वला क़व्वता इल्ला बिल्लाह) (गुनाहो से बचने और नेकी की क़ुव्वत सिर्फ और सिर्फ अल्लाह से मिलती है) तो आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया अब्दुल्लाह बिन क़ैस!क्या मै तुम्हे जन्नत के खज़ानों मे से एक खज़ाने का पता न बताऊँ?मैने कहा क्यों नही अल्लाह के रसूल!आपने फरमाया *(لا حولا ولا قوة الا بالله)* कहा करो।
सही मुस्लिम,किताबुज़्ज़िक्र वद्दुआअ वत्तौबता वल्इस्तग़्फार,हदीस नम्बर 2704(6862),तछरीज-बुखारी 4205,अबूदाऊद 1526,तिर्मिज़ी 3461,इब्ने माजह 3£24,
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*खाना शुरू करते वक़्त पढ़ी जाने वाली दुआ*
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उम्मुल्मोमिनीन आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा कहती है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया जब तुम लोगों मे से कोई खाना खाए तो *بسم الله* (बिस्मिल्लाह) पढ़ ले,अगर शुरू मे भूल जाय तो यह कहे *بسم الله فى اوله وأخره* (बिस्मिल्लाहि फी अव्वलिही वआखिरिह्)
इसी सनद से आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा से मरवी है कि नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम 6 सहाबह के साथ खाना खा रहे थे अचानक एक एअराबी आया और 2 लुक़्मह मे पूरा खाना खा लिया,रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया अगर इसने *بسم الله* (बिस्मिल्लाह) पढ़ ली होती तो यह खाना तुम सबके लिए काफी होता।
(जामेअ तिर्मिज़ी,अब्वाबुल्अत़्इमह,हदीस नम्बर 1858,तखरीज-इस्नादह सही,अबूदाऊद 3767,इब्नेमाजह 3264)
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*खाना खाने के बअद पढ़ी जाने वाली व कपड़ा पहनते वक़्त पढ़ी जाने वाली दुआ*
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जनाबे सह्ल अपने वालिद मुआज़ बिन अनस रज़ियल्लाहो अन्ह से बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया जो शख्स खाना खाने के बअद यूँ दुआ करे *الحمد لله الذى اطعمني هذا الطعام ورزقنيه من غير حول مني ولا قوة* (अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी अत़्अमनी हाज़त़्त़आमा वरज़क़नीहि मिन गैरि हौलिम् मिन्नी वला क़ुव्वह) (हम्द उस अल्लाह की जिसने मुझे यह खाना खिलाया और बग़ैर मेरी किसी कोशिश व क़ुव्वत के मुझे यह रिज़्क इनायत फरमाया) तो उसके अगले व पिछले सब गुनाह बख्श दिये जाते है,
फरमाया और जो कोई कपड़ा पहने फिर यह दुआ करे *الحمد لله الذى كسانى هذا الثوب ورزقنيه من غير حول مني ولا قوة* (अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी कसानी हाज़ष्षौबा वरज़क़नीहि मिन गैरि हौलिम् मिन्नी वला क़ुव्वह) (हम्द उस अल्लाह की जिसने मुझे यह कपड़ा पहनाया और बग़ैर मेरी किसी कोशिश और क़ुव्वत के मुझे यह इनायत फरमाया)
तो उसके अगले और पिछले गुनाह बख्श दिये जाते है।
(सुनन अबूदाऊद,किताबुल्लिबास,हदीस नम्बर 4023,तखरीज-इस्नादह हसन,तिर्मिज़ी 3458,इब्नेमाजह 3285,इमाम अल्बानी रहमतुल्लाह अलैह कहते है इसमे पिछले गुनाह के अल्फाज़ सही नहीं है)